याद शायरी – Yaad Shayari
याद शायरी | माना के तिरा फ़ैज़ अभी, आम नहीं है क्या “क़ैस” की ख़ातिर भी, कोई जाम नहीं है ? (फ़ैज़ = लाभ, उपकार, कृपा)मेरी ये शिकायत के मुझे, टाल रहे हैं उनका ये बहाना के अभी, शाम नहीं हैदिन भर तिरी यादें हैं तो, शब भर तिरे सपने दीवाने को अब और कोई, काम … Read more