अली ज़ारियोन के मशहूर शेर -Ali Zaryoun instagram viral shayri

कोई शहर था जिसकी एक गली मेरी हर आहट पहचानती थी

मेरे नाम का इक दरवाज़ा था इक खिड़की मुझको जानती थी

चादर की इज्जत करता हूं और पर्दे को मानता हूं हर पर्दा पर्दा नहीं होता इतना मैं भी जानता हूं।

अव्वल तो मैं नाराज़ नहीं होता हूँ लेकिन हो जाऊँ तो फिर मुझसा बुरा होता नहीं है |

उसूली तौर पे मर जाना चाहिए था मगर मुझे सुकून मिला है तुझे जुदा कर के |

तेरा बनता था कि तू दुश्मन हो अपने हाथों से खिलाया था तुझे

मैं भी इक शख़्स पे इक शर्त लगा बैठा था तुम भी इक रोज़ इसी खेल में हारोगे मुझे

कोई शहर था जिसकी एक गली मेरी हर आहट पहचानती थी

एक आवाज़ कि जो मुझको बचा लेती है ज़िन्दगी आख़री लम्हों में मना लेती है |

कोई दिक्कत नहीं है अगर तुम्हें उलझा सा लगता हूं मैं पहली मर्तबा मिलने में सबको ऐसा लगता हूं